Water pollution जल प्रदूषण
नमस्कार दोस्तों आप सभी को तो पता है, जल यानि पानी हमारे जीवन के लिये कितना आवश्यक है, पानी के बिना हम अपने भविष्य की कल्पना भी नहीं कर सकते। हमरे जीवन के लिए पानी अमूल्य है।
आज की इस लेख में हम जल प्रदूषण के बारे में पढ़ेगें। जल प्रदूषण क्या है जल प्रदूषण किन-किन कारणों से होता है। जल प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता हैं। हो सके तो अपने स्तर पर जल प्रदूषण को कम करेने की कोशिश करें।
जल जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है, जिसको जलीय जीव अपने वातावरण से तथा अन्य स्रोतों से ग्रहण करते हैं। पौधे खनिज लवणों को जल से घुलित अवस्था में ग्रहण करते हैं। पौधों द्वारा निर्मित भोजन का स्थानान्तरण भी तरल अवस्था में होता है। जल जीवद्रव्य का आधारीय भाग बनाता है। जल में विभिन्न प्रकार के खनिज लवण, अकार्बनिक तथा कार्बनिक पदार्थ और गैसें घुली रहती हैं। ये सब पदार्थ जल में एक निश्चित अनुपात में होते हैं। यदि जल में इन पदार्थों की सन्तुलित मात्रा कम या ज्यादा हो जाये तो जल प्रदूषित हो जाता है। ऐसे प्रदूषित जल के उपयोग से विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
sources of water pollution जल प्रदूषण के कारण हो सकते हैं
(i) वाहित मल (Sewage) घरों से निकला हुआ मलमूत्र, कूड़ा तथा औद्योगिक कारखानों से निकला हुआ वाहित मल, नदियों, नालों और समुद्र में फेंक दिये जाते हैं। मूत्र में उपस्थित यूरिया विघटित होकर अमोनिया का निर्हैमाण करती है , जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।
(ii) घरेलू अपमार्जक (Domestic detergents)- घर एवं अन्य स्थानों की सफाई, कपड़े धोने आदि के लिए रासायनिक अपमार्जक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। अपमार्जक पदार्थों में उपस्थित CO₂, ऐल्कोहॉल, कार्बनिक अम्ल जल को प्रदूषित करते हैं।
(iii) कीटनाशक पदार्थ (Insecticides) अनेक कीटों, जीवाणुओं और फफूँद आदि को नष्ट करने के लिए कीटनाशक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। यह जल के साथ बहकर नदियों में पहुँच जाते हैं, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है। इससे पीलिया, हैजा, पेचिश आदि रोग हो जाता है।
(iv) उर्वरक (Fertilizers)- उर्वरकों के अधिक उपयोग से जलीय इकोतंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
Prevention of Water Pollution जल प्रदूषण को कैसे कम करें
effects water pollution
1. प्रदूषित जल द्वारा मनुष्य में टायफाइड (Typhoid), पीलिया (Jaundice), जिआडिएसिस (Giardiasis), मलेरिया , पीत ज्वर , दस्त आदि रोग होते हैं।
2. विषाक्त पदार्थ औद्योगिक अपशिष्ट के जलीय इकोक्तंत्र (Water ecosystem) के लाभकारी जीवाणुओं को भी नष्ट कर देते हैं, जिससे मृत कार्बनिक पदार्थ का अपघटन (Decomposition) नहीं हो पाता।
3. उर्वरक में उपस्थित नाइट्रोजन, नाइट्रेट्स के रूप में जल में संचित होते हैं। जब ऐसे जल को जीव ग्रहण करते हैं, तो इंटेस्टाइनल बैक्टीरिया द्वारा उसे नाइट्राइट में बदलकर रक्त विषाक्त मीथाग्लोबीनीमिया (Methaglobinemia) बनाता है, जो श्वसन और रक्त परिवहन तंत्र को नष्ट कर देता है। जल प्रदूषण का नियंत्रण (Control of Water Pollution)
(1) कीटनाशक प्रदूषण को रोकने के लिए रासायनिक कीटनाशक की जगह Biological insecticides का उपयोग करना चाहिये।
(2) नदियों के किनारे उद्योग नहीं लगाना चाहिये।
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