अगर आप बिज़नेस, की पढाई या पर्सनल फाइनेंस से जुड़े हैं, तो एकाउंटिंग (Accounting) शब्द आपने ज़रूर सुना होगा। एकाउंटिंग दरअसल किसी भी संस्था या व्यक्ति के पैसों से जुड़े लेन-देन को व्यवस्थित तरीके से दर्ज करने और रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया है। इसकी मदद से हमें यह पता चलता है कि व्यापार में कितनी लाभ (Profit) हुई, कितना खर्च (Expense) हुआ और किसी समय पर व्यवसाय की वित्तीय स्थिति (Financial Position) क्या है।
“एकाउंटिंग व्यापार की वह भाषा है, जिसके ज़रिए मालिक, निवेशक और सरकार समझ पाते हैं कि पैसा कहाँ से आया और कहाँ खर्च हुआ।”
What Is Accounting
एकाउंटिंग (Accounting) व्यापार और वित्तीय प्रबंधन की
सबसे जरुरी प्रक्रिया है। यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके मदद से किसी भी
व्यक्ति, व्यवसाय या संस्था के
सभी आर्थिक लेन-देन (FinancialTransactions) को व्यवस्थित रूप से दर्ज, वर्गीकृत और संक्षेपित किया जाता है। एकाउंटिंग का मुख्य उद्देश्य यह बताना
होता है कि व्यवसाय ने किसी अवधि में कितना लाभ (Profit) या हानि (Loss) कमाया और उसकी वित्तीय स्थिति (Financial Position) क्या है।
“एकाउंटिंग पैसे से
जुड़े हर लेन-देन का सही रिकॉर्ड रखकर ऐसी उपयोगी रिपोर्ट तैयार करने की कला और
विज्ञान है, जिससे मालिक, निवेशक, सरकार और अन्य संबंधित पक्ष सही निर्णय ले सकें।”
यानी एकाउंटिंग केवल हिसाब-किताब लिखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यवसाय की योजना बनाने, खर्चों पर नियंत्रण करने और भविष्य की रणनीति तय करने का आधार भी है।
What Are the Types of Accounting Practices?
Financial Accounting: बाहरी
उपयोगकर्ताओं के लिए Final Accounts (P\&L, Balance Sheet, Cash Flow)।
Cost Accounting: उत्पादन/सेवा की लागत मापना, नियंत्रण, लागत घटाना।
Management Accounting: आंतरिक रिपोर्ट, बजट, variance, निर्णय-सहायता।
Tax Accounting: Direct/Indirect
taxes का अनुपालन व योजना।
Auditing (संबद्ध क्षेत्र): रिकॉर्ड व रिपोर्ट की स्वतंत्र
जाँच/आश्वासन।
Accounting Cycle एकाउंटिंग प्रक्रिया
1. स्रोत दस्तावेज़/वाउचर की जाँच (बिल, रसीद, चालन)।
2. Journal entry जर्नल एंट्री : व्यक्तिगत लेन-देन उपयुक्त खातों में दर्ज किए जाते हैं।
3. Ledger Posting लेजर पोस्टिंग (वर्गीकरण—हर खाते की अलग लेजर)।
4. ट्रायल बैलेंस (Debit = Credit की जाँच)।
5. एडजस्टमेंट एंट्रीज़ (देय/पूर्वभुगतान, मूल्यह्रास, प्रावधान)।
6. फाइनल अकाउंट्स:
Trading/Manufacturing A/c,
Profit & Loss A/c,
Balance Sheet,
(कई मामलों में)Cash
Flow Statement।
7. क्लोजिंग व ओपनिंग एंट्रीज़ अगले पीरियड के लिए।
8. विश्लेषण/व्याख्या और रिपोर्टिंग (MIS, रेश्यो, डैशबोर्ड)।
Type Of Accounting Ansd Golden Rules of Accounting
(A) खाता-प्रकार
Real Account (वास्तविक):संपत्तियाँ—Cash, Furniture, Machinery।
Personal Account (व्यक्तिगत): व्यक्ति/संस्था—राम, बैंक, Creditors/Debtors।
Nominal Account (नाममात्र): खर्च/आय—Rent, Salary, Commission, Sales, Interest आदि।
Real: जो आए, उसे डेबिट;
जो जाए, उसे क्रेडिट।”
Personal: “देने वाला क्रेडिट; लेने वाला डेबिट।”
Nominal: “खर्च/नुकसान डेबिट; आय/लाभ क्रेडिट।”
उदाहरण 1: पूँजी लगाई ₹1,00,000
(Cash)।
जर्नल:
Cash A/c -Dr 1,00,000
To Capital A/c -1,00,000
समीकरण पर असर: Assets +1,00,000; Equity +1,00,000 → संतुलित।
उदाहरण 2: माल नकद खरीदा ₹20,000।
Purchases/Inventory -Dr 20,000
To Cash -20,000
उदाहरण 3: माल उधार बेचा ₹30,000
(कस्टमर राम)।
Ram (Debtor) -Dr 30,000
To Sales -30,000
उदाहरण 4: वेतन दिया ₹5,000।
Salary -Dr 5,000
To Cash -5,000
उदाहरण 5: राम से ₹30,000 वसूल हुए (Cash Received)।
Cash -Dr 30,000
To Ram -30,000
इन एंट्रीज़ से अवधि के अंत में Sales (आय) − Purchases/Expenses = Profit निकलेगा; और Balance Sheet में Assets, Liabilities, Capital दिखेगा।
Objectives of Accounting in Hindi एकाउंटिंग के उद्देश्य
लेखांकन का मुख्य कार्य सिर्फ़ हिसाब-किताब रखना नहीं है, बल्कि व्यापार की आर्थिक स्थिति को स्पष्ट करना
और भविष्य के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करना भी है। इसके कुछ प्रमुख उद्देश्य नीचे
दिए गए हैं:
1. वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड रखना (Recording of Transactions)
एकाउंटिंग का सबसे पहला उद्देश्य है हर आर्थिक लेन-देन को सही और व्यवस्थित
तरीके से दर्ज करना।
उदाहरण: नकद
प्राप्ति, बिक्री, खरीद, खर्च आदि को जर्नल और लेजर में दर्ज करना।
2. लाभ और हानि का पता लगाना (Determining Profit or Loss)
व्यवसाय चलाने का मुख्य लक्ष्य लाभ कमाना है। एकाउंटिंग के ज़रिए यह पता लगाया
जाता है कि एक निश्चित अवधि (महीना/साल) में कंपनी को लाभ हुआ है या हानि।
इसके लिए Trading
A/c और Profit & Loss A/c बनाया जाता है।
3. वित्तीय स्थिति
बताना (Determining Financial Position)
व्यवसाय की स्थिति केवल लाभ-हानि से नहीं समझी जा सकती। यह भी जानना ज़रूरी है
कि कंपनी की संपत्तियाँ (Assets) और देयताएँ (Liabilities)
कितनी हैं।
इसके लिए Balance Sheet तैयार की जाती है,
जो एक निश्चित तारीख पर फर्म की वास्तविक
स्थिति दिखाती है।
4. भविष्य की योजना और निर्णय लेना (Future Planning & Decision Making)
एकाउंटिंग से प्राप्त डेटा के आधार पर व्यवसाय के मालिक और मैनेजमेंट भविष्य
की योजनाएँ बनाते हैं।
जैसे – प्रोडक्शन बढ़ाना है या घटाना, नई मशीन खरीदनी है या नहीं, उधार लेना है या नहीं।
5. खर्चों पर नियंत्रण (Control over Expenditure)
लेखांकन से पता चलता है कि कहाँ-कहाँ अधिक खर्च हो रहा है। इससे अनावश्यक खर्च
कम करके मुनाफ़ा बढ़ाया जा सकता है।
Cost Accounting इसी उद्देश्य के लिए उपयोगी है।
6. कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करना (Legal Compliance)
सरकार द्वारा लगाए गए कर (GST, Income Tax, TDS) और अन्य कानूनी दायित्वों को पूरा करने के लिए सटीक रिकॉर्ड
रखना अनिवार्य होता है।
एकाउंटिंग यह सुनिश्चित करती है कि सभी कानूनों का पालन सही समय पर किया जाए।
7. निवेशकों और ऋणदाताओं को जानकारी देना (Providing Information to
Stakeholders)
निवेशक, बैंक और अन्य ऋणदाता
जानना चाहते हैं कि व्यवसाय सुरक्षित है या नहीं।
एकाउंटिंग से बनी रिपोर्ट उन्हें निर्णय लेने में मदद करती है कि निवेश या ऋण
देना चाहिए या नहीं।
8. तुलना और विश्लेषण (Comparison & Analysis)
पिछले सालों के आँकड़ों से तुलना करके यह देखा जा सकता है कि व्यवसाय की
प्रगति हुई है या गिरावट।
Ratio Analysis और Trend Analysis इसी उद्देश्य के लिए किया जाता है।
9. व्यवसाय का स्थायित्व बनाए रखना (Business Sustainability)
लेखांकन यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी की गतिविधियाँ दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ
(Sustainable) बनी रहें।

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