Plasma Membrane प्लाज्मा झिल्ली की संरचना तथा कार्यों का वर्णन
उत्तर - प्लाज्मा झिल्ली या जीवद्रव्य कला (Plasma membrane) -
सभी कोशिकाओं के चारो ओर एक पतली,मुलायम तथा अर्द्धपारगम्य झिल्ली होती है, जिसे जीवद्रव्य कला (Plasma membrane) कहते हैं। जीवद्रव्य कला, जीवद्रव्य तथा ऊतक कला (Tissue fluid) के बीच एक दीवार की तरह कार्य करती है,जिसमें से होकर कुछ विलयन, विलायक तथा यौगिक आ-जा सकते हैं।
संरचना (Structure) -
यदि आप इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में प्लाज्मा झिल्ली की संरचना को देखते हैं तो यह तीन भाग की बनी दिखाई देती है
(i) 20 Å मोटी, बाहरी स्तर जो सघन प्रोटीन की बनी होती है।
(ii) 35Å मोटी, बिच की हल्की स्तर जो दो ध्रुव तथा फॉस्फोलिपिड की बनी होती है |
(iii) 20Å मोटी आन्सतरिक स्तर (Internal dense layer) जो प्रोटीन की बनी होती है।
सर्वप्रथम प्लाज्मा झिल्ली की त्रिस्तरीय संरचना के बारे में डेनियली तथा डेवसन (Denielli and Davson) ने सन् 1935 में बताया। इसके बाद हार्वे तथा डेनियली ने इसकी रचना का एक कल्पित चित्र बनाया।
Unit membrane concept इकाई झिल्ली संकल्पना
सन् 1959 में रॉबर्टसन (Robertson) ने प्लाज्मा झिल्ली के सम्बन्ध में एक परिकल्पना का प्रतिपादन किया, जिसे 'इकाई झिल्ली परिकल्पना' कहते हैं। इस परिकल्पना के अनुसार, प्रोटीन-लिषिड तथा प्रोटीन की बनी तीन स्तर की बनी प्लाज्मा झिल्ली को 'इकाई झिल्ली' कहते हैं तथा प्लाज्मा झिल्ली के अलावा कोशिका के अन्दर बनी सभी झिल्लियाँ इकाई झिल्ली की ही बनी होती हैं। यहाँ तक कि एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम, माइटोकॉण्ड्यिा, लाइसोसोम, गॉल्जीकाय, राइबोसोम, केन्द्रक कला (Nuclear membrane) व लवक भी इसी इकाई झिल्ली के बने होते हैं। इस परिकल्पना के अनुसार, विभिन्न प्रकार के कोशिक की निर्माण प्लाज्मा झिल्ली या इकाई झिल्ली के मदद से होती है।
Fluid Mosaic Model फ्ल्युइड मोजैक मॉडल
इस मॉडल को निकोलसन और सेंगर दोनों ने सन् 1972 में दिया था। इस मॉडल के आधार पर कोशिका द्रव चार भागों से मिलकर बनी होती है, जिनमें बाहर और अन्दर प्रोटीन का भाग होता है, जिनके बीच में लिपिड की द्विआण्विक (bimolecular) स्तर होती है, जिसके अध्रुवीय (Non-polar) सिरे आमने-सामने होते हैं, जबकि पोलर सिरे विपरीत दिशा में होते हैं, जो जल में विलेय होते हैं। पानी के सम्पर्क में आने से ये पोलर शीर्ष घुल जाते हैं, जिससे कोशिका द्रव पदार्थों का परिवहन करती है।
Functions कार्य
(1) पारगम्यता (Permeability) - कोशिका द्रव्य पतली, मुलायम झिल्ली होती है, जो द्रव को कोशिका के अन्दर व बाहर आने-जाने देती है। कोशिका द्रव्य की यह प्रवृत्ति पारगम्यता कहलाती है। पारगम्यता के आधार पर कोशिका द्रव कई प्रकार की होती है-
(A) ऐसी कोशिका द्रव्य , जो गैस के आलावा कुछ भी पदार्थ कोशिका के अन्दर व बाहर नहीं आर-पार देती है, अपारगम्य कोशिका कला होती है।
(B) ऐसी कोशिका द्रव्य जो पानी को कोशिका के अन्दर एवं बाहर आर-पार देती है, अर्द्ध-पारगम्य कोशिका द्रव्य होती है।
(C) ऐसी कोशिका कला जो कुछ चुनी हुई पदार्थों को कोशिका के अन्दर व बाहर आने-जाने देतो हैं, चयनात्मक पारगम्यकला (Selective Permeable membrane) होती है। सभी कोशिका कला इस श्रेणी को हो होतो है।
(D) ऐसी कोशिका कला जो कुछ भी पदार्थ आने-जाने नहीं जाने देती, अपारगम्य होती है।
(2) परासरण (Osmosis)- जब कम सान्द्र एवं अधिक सान्द्र विलयनों को अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली के द्वारा अलग रखा जाता है, तब पानी निम्न सान्द्रता वाले विलयन से उच्च सान्द्रता वाले विलयनों की तरफ जाता है, तो इस क्रिया को परासरण कहलाती है। जब पानी कोशिका के अन्दर से बाहर निकलता है, तो बाह्य परासरण कहलाता है। जब पानी कोशिका में बाहरी भाग से अन्दर की ओर जाता है, तो अन्तः परासरण कहते है।
(3) विसरण - जब कोशिका कला के द्वारा दो भिन्न-भिन्न सान्द्रता वाले विलयन अलग होते हैं, तो निम्न सान्द्रता वाला विलयन उच्च सान्द्रता वाले विलयन की ओर जाने लगता है तथा सान्द्रता बराबर होने पर बहना बन्द हो जाता है।
(4) सक्रिय परिवहन (Active Transport)- जब कोशिका कला से विलेव पदार्थों को आर-पार जाने लिए ऊर्जा को आवश्यकता होती है, तो वह सक्रिय परिवहन कहलाती है।
(5) पिनोसाइटोसिस - जब कोशिका में पदार्थ द्रव रूप में पहुँचती है, तो उसको पिनोसाइटोसिस कहते हैं।
(6) फैगोसाइटोसिस - जब कोशिका के अन्दर पदार्थ ठोस रूप में जाता है, तो उसे फैगोसाइटोसिस कहते है।
Active Transport सक्रिय अभिगमन - प्लाज्मा मेम्ब्रेन यह कोशिका की सबसे उपरी लेयर होती है। यह स्वभाव में डिफरेन्शियली परमिएबल होती है। विभिन्न पदार्थों का अभिगमन इसके डिफरेन्शियली परमिएबल गुणों पर आश्रित होतें है। प्लाज्मा झिल्ली के माध्यम से अधिक भार वाले पदार्थ आसानी से पार नहीं हो पाते हैं जबकि जल, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड आसानी से पार हो जाते हैं। प्लाज्मा मेम्ब्रेन में 8 से 50Å तक के सूक्ष्म छिद्र पाए जाते हैं। जिसमें विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों के अणु पारित होते हैं। विभिन्न साल्यूट्स (Solutes) के अणु डिफ्यूजन (Diffusion) द्वारा कोशिका में प्रवेश करते है। इन आयनों का अभिगमन विद्युत चार्ज परआधारित होता है, जब आयन निम्न सान्द्रता से उच्च सान्द्रता की ओर जाति करते हैं तब आयनों की गति सक्रिय अभिगमन कहते है। इस क्रिया में अणुओं की गति के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसे ATP, द्वारा प्राप्त किया जाता है। जिससे डिफ्युजन बल को समाप्त किया जा सके।
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