आज की इस पोस्ट में हम Chhattisgarh Temple के बारे में पढेंगें |
तो चलिए Chhattisgarh Temple के बारे में पढना शुरू करते हैं|
Chhattisgarh Temple छत्तीसगढ़ के प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर एवं उनका इतिहास
छत्तीसगढ़, जिसे "मंदिरों की भूमि" भी कहा जाता है, अपने प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह
राज्य भारतीय संस्कृति, स्थापत्य कला
और धार्मिक परंपराओं की अनूठी विरासत को संजोए हुए है। छत्तीसगढ़ के मंदिर मुख्य
रूप से कल्चुरी, नागवंशी, मराठा और अन्य शासकों द्वारा बनवाए गए थे। यहाँ के मंदिरों
की स्थापत्य शैली अद्वितीय है और इनमें से कई मंदिर राष्ट्रीय महत्व के धरोहर स्थल
भी हैं।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर एवं उनका इतिहास
1. भोरमदेव मंदिर (कबीरधाम)
- भोरमदेव मंदिर को "छत्तीसगढ़ का खजुराहो" कहा जाता है।
- इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजाओं द्वारा कराया गया था।
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसमें खजुराहो शैली की मूर्तिकला और शिल्पकला देखने को मिलती है।
- यहाँ विभिन्न देवी-देवताओं, अप्सराओं और पौराणिक कथाओं से जुड़ी कलाकृतियाँ उकेरी गई हैं।
2. महामाया मंदिर (रतनपुर, बिलासपुर)
- यह मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है और 12वीं शताब्दी में कल्चुरी वंश के राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा बनवाया गया था।
- महामाया देवी को इस क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
- यह मंदिर तांत्रिक और शाक्त परंपराओं से भी जुड़ा हुआ है।
3. दंतेश्वरी मंदिर (दंतेवाड़ा)
- यह मंदिर देवी दंतेश्वरी को समर्पित है और 600 वर्ष से अधिक पुराना है।
- यह भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
- मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली में बनी हुई है, और यहाँ हर साल बस्तर दशहरा महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
4. लक्ष्मण मंदिर (सिरपुर, महासमुंद)
- यह 7वीं शताब्दी में राजा महाशिवगुप्त बालार्जुन की माता वासटा देवी द्वारा बनवाया गया था।
- इसे ईंटों से निर्मित भारत के प्राचीनतम मंदिरों में गिना जाता है।
- यहाँ विष्णु अवतार, शेषनाग और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं।
5. राजीव लोचन मंदिर (राजिम, गरियाबंद)
- यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसकी स्थापना 8वीं से 9वीं शताब्दी के दौरान हुई थी।
- इस मंदिर की खासियत यहाँ स्थित द्वादश स्तंभ हैं, जिनमें विभिन्न देवी-देवताओं की अद्भुत आकृतियाँ उकेरी गई हैं।
- यह मंदिर प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा पर लगने वाले राजिम कुंभ मेले के लिए प्रसिद्ध है।
6. कंकाली मंदिर (खरौद, जांजगीर-चांपा)
- यह मंदिर देवी कंकाली को समर्पित है और 8वीं-9वीं शताब्दी का माना जाता है।
- इसे तांत्रिक सिद्धियों से जुड़ा हुआ माना जाता है।
- मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई प्रतिमाएँ शैव और शाक्त परंपराओं की झलक दिखाती हैं।
7. शिवरीनारायण मंदिर (जांजगीर-चांपा)
- यह भगवान विष्णु के अवतार श्री नारायण को समर्पित है।
- माना जाता है कि यहाँ श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान कुछ समय बिताया था।
- मंदिर के पास ही शबरी आश्रम भी स्थित है, जो धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है।
8. मदकू द्वीप मंदिर (बिलासपुर)
- यह मंदिर शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
- शिवलिंग के साथ-साथ यहाँ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थित हैं।
- यह मंदिर एक द्वीप पर स्थित होने के कारण धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
छत्तीसगढ़ के मंदिरों की विशेषताएँ
- छत्तीसगढ़ के मंदिरों में नागर, द्रविड़ और वेसर स्थापत्य शैली का मिश्रण देखने को मिलता है।
- अधिकांश मंदिर कल्चुरी, मराठा, नागवंशी और सोमवंशी शासकों के शासनकाल में बने हैं।
- यहाँ के कई मंदिर शक्ति उपासना, शैव और वैष्णव परंपरा से जुड़े हुए हैं।
- मंदिरों की मूर्तिकला अत्यंत सुंदर और जीवंत है, जो पौराणिक कथाओं को दर्शाती है।
- शक्तिपीठों और शिवलिंगों की प्राचीनता इन मंदिरों को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
छत्तीसगढ़ के मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के
प्रतीक हैं, बल्कि ये ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कलात्मक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। इन
मंदिरों की वास्तुकला और उनसे जुड़ी मान्यताएँ छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत का
प्रमाण देती हैं। यदि आप भारतीय संस्कृति और इतिहास में रुचि रखते हैं, तो छत्तीसगढ़ के ये प्राचीन मंदिर अवश्य देखने योग्य हैं।
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